जैसे गर्मी और प्रकाश को आग और तरलता को तरल पदार्थ से दूर नहीं किया जा सकता, वैसे ही शान्ति, खुशी, शक्ति, ज्ञान, प्रेम, आनन्द और पवित्रता रुपी हमारे मूल संस्कारों, जो कि हमारी मूल प्रकृति और शाश्वत गुण हैं, को हमसे दूर नहीं किया जा सकता। और ये शाश्वत गुण हीं हमारा सनातन धर्म है। धर्म परिवर्तन से हमारा सनातन धर्म नहीं बदलता। …परम द्विज

(Based on the live discourse of Param Dwij)
(परम द्विज के प्रवचन पर आधारित)