सनातन का अर्थ है कि जिसका कोई आदि और अंत नहीं है और जो निरंतर है। अतएव, सनातन में किसी भी साम्प्रदायिक प्रक्रिया का उल्लेख असंभव है। भौतिक सृष्टि में हमारे अस्तित्व का उद्देश्य हमारे सनातन व्यवसाय अर्थात् सनातन धर्म को पुनर्जीवित करना है। …परम द्विज

(Based on the live discourse of Param Dwij)
(परम द्विज के प्रवचन पर आधारित)