कोई भी धार्मिक स्थान धार्मिक नहीं रहता अगर लोग लड़ने के लिए वहां इकट्ठा हो। वास्तव में धर्म ही धर्म नहीं रहता अगर वह लोगों को लड़ाने का कारण हो । हमारे विश्वास समाज द्वारा निर्धारित हैं और मौलिक नहीं हैं, इसलिए शुद्ध नहीं हैं। …परम द्विज

(Based on the live discourse of Param Dwij)
(परम द्विज के प्रवचन पर आधारित)