ज्ञान की शक्ति से वर्तमान और पिछले जन्मों में किए गए कर्मों का फल नष्ट हो जाता है और ज्ञान की प्राप्ति के बाद किए गए कर्मों का फल नहीं मिलता है। …परम द्विज 05/06/2023 05/06/2023 ज्ञान की शक्ति से वर्तमान और पिछले जन्मों में किए गए कर्मों का फल नष्ट हो जाता है और ज्ञान की प्राप्ति के बाद किए गए कर्मों का फल नहीं मिलता है। …परम द्विज Read More
कोई भी धार्मिक स्थान धार्मिक नहीं रहता अगर लोग लड़ने के लिए वहां इकट्ठा हो। वास्तव में धर्म ही धर्म नहीं रहता अगर वह लोगों को लड़ाने का कारण हो । हमारे विश्वास समाज द्वारा निर्धारित हैं और मौलिक नहीं हैं, इसलिए शुद्ध नहीं हैं। …परम द्विज 05/06/2023 05/06/2023 कोई भी धार्मिक स्थान धार्मिक नहीं रहता अगर लोग लड़ने के लिए वहां इकट्ठा हो। वास्तव में धर्म ही धर्म नहीं रहता अगर वह लोगों को लड़ाने का कारण हो । हमारे विश्वास समाज द्वारा निर्धारित हैं और मौलिक नहीं हैं, इसलिए शुद्ध नहीं हैं। …परम द्विज Read More
हमारे सम्बन्धों सहित सांसारिक वस्तुओं से हमारा मोह ही हमारे दुखों का मूल कारण है। इसलिए हमें सबसे पहले “मैं” के अहंकार को छोड़ कर दाता को समर्पित होना चाहिए। … परम द्विज 05/06/2023 05/06/2023 हमारे सम्बन्धों सहित सांसारिक वस्तुओं से हमारा मोह ही हमारे दुखों का मूल कारण है। इसलिए हमें सबसे पहले “मैं” के अहंकार को छोड़ कर दाता को समर्पित होना चाहिए। … परम द्विज Read More
संयम सभी अनुशासनों में सबसे मजबूत अनुशासन है जो कि धारणा (एकाग्रता, दृढ़ संकल्प और केन्द्रिता), ध्यान और समाधि (अवशोषण) का एक त्रय है। …परम द्विज 05/06/2023 05/06/2023 संयम सभी अनुशासनों में सबसे मजबूत अनुशासन है जो कि धारणा (एकाग्रता, दृढ़ संकल्प और केन्द्रिता), ध्यान और समाधि (अवशोषण) का एक त्रय है। …परम द्विज Read More
अंगों के पूर्ण नियंत्रण हो जाने पर वैराग्य उत्पन्न होता है जो त्याग की ओर ले जाता है, जिससे मुक्ति की लालसा बढ़ती है। …परम द्विज 05/06/2023 05/06/2023 अंगों के पूर्ण नियंत्रण हो जाने पर वैराग्य उत्पन्न होता है जो त्याग की ओर ले जाता है, जिससे मुक्ति की लालसा बढ़ती है। …परम द्विज Read More
निष्काम कर्म, व्यक्तिगत लाभ के लिए किए गए संस्कारों और कर्तव्यों को अस्वीकार करना है – काम्य कर्म और निषिद्ध कर्म, दोनों। …परम द्विज 05/06/2023 05/06/2023 निष्काम कर्म, व्यक्तिगत लाभ के लिए किए गए संस्कारों और कर्तव्यों को अस्वीकार करना है – काम्य कर्म और निषिद्ध कर्म, दोनों। …परम द्विज Read More
कर्म या भक्ति या ज्ञान योग एक ही मंजिल तक पहुंचने के अलग-अलग रास्ते हैं और भक्ति, कर्म और ज्ञान योग, दोनों में, सहज रूप से स्वतः ही समाहित है। …परम द्विज 05/06/2023 05/06/2023 कर्म या भक्ति या ज्ञान योग एक ही मंजिल तक पहुंचने के अलग-अलग रास्ते हैं और भक्ति, कर्म और ज्ञान योग, दोनों में, सहज रूप से स्वतः ही समाहित है। …परम द्विज Read More
मन से पापों का नाश हो जाने पर स्थायी और अस्थायी के बीच एक दृढ़ भेदभाव पैदा होता है। …परम द्विज 05/06/2023 05/06/2023 मन से पापों का नाश हो जाने पर स्थायी और अस्थायी के बीच एक दृढ़ भेदभाव पैदा होता है। …परम द्विज Read More
अद्यात्मिक्ता का उद्देश्य हमें शुद्ध चेतना की अवस्था का एहसास और अनुभव कराना और पूर्ण मुक्ति प्राप्त करवाना है – जीवन-मुक्ति – मोक्ष। …परम द्विज 05/06/2023 05/06/2023 अद्यात्मिक्ता का उद्देश्य हमें शुद्ध चेतना की अवस्था का एहसास और अनुभव कराना और पूर्ण मुक्ति प्राप्त करवाना है – जीवन-मुक्ति – मोक्ष। …परम द्विज Read More
निष्काम कर्मयोग का मूल कारण भक्ति है क्योंकि निस्वार्थ कर्म में भक्ति निहित ही है। … परम द्विज 03/04/2023 03/04/2023 निष्काम कर्मयोग का मूल कारण भक्ति है क्योंकि निस्वार्थ कर्म में भक्ति निहित ही है। … परम द्विज Read More