पूर्ण आध्यात्मिक प्राप्ति के लिए, बिना किसी देहभान या शारीरिक चेतना के जीवन पर्यन्त आत्म चेतना के अभ्यास की आवश्यकता है। …परम द्विज 03/04/2023 03/04/2023 पूर्ण आध्यात्मिक प्राप्ति के लिए, बिना किसी देहभान या शारीरिक चेतना के जीवन पर्यन्त आत्म चेतना के अभ्यास की आवश्यकता है। …परम द्विज Read More
पद, नाम, संबंध, पेशा, आदि सहित सभी पदनाम व्यक्त रुप में हमारे भौतिक शरीर से जुड़े हैं, जबकि आत्मा और दाता दोनो अव्यक्त हैं। अव्यक्त से अव्यक्त का मिलन बिना देहभान के केवल आत्मिक चेतना द्वारा ही संभव है। …परम द्विज 03/04/2023 03/04/2023 पद, नाम, संबंध, पेशा, आदि सहित सभी पदनाम व्यक्त रुप में हमारे भौतिक शरीर से जुड़े हैं, जबकि आत्मा और दाता दोनो अव्यक्त हैं। अव्यक्त से अव्यक्त का मिलन बिना देहभान के केवल आत्मिक चेतना द्वारा ही संभव है। …परम द्विज Read More
वृक्ष रुप में हमारे भौतिक जगत की जड़ें ऊपर की ओर और शाखाएं नीचे की ओर हैं, जो कि आध्यात्मिक जगत का प्रतिबिंब है। छाया में कोई पदार्थ नहीं है, लेकिन कम से कम यह जानने का अवसर जरुर है कि पदार्थ और वास्तविकता मौजूद हैं। …परम द्विज 03/04/2023 03/04/2023 वृक्ष रुप में हमारे भौतिक जगत की जड़ें ऊपर की ओर और शाखाएं नीचे की ओर हैं, जो कि आध्यात्मिक जगत का प्रतिबिंब है। छाया में कोई पदार्थ नहीं है, लेकिन कम से कम यह जानने का अवसर जरुर है कि पदार्थ और वास्तविकता मौजूद हैं। …परम द्विज Read More
सभी प्राणियों में सर्वोच्च चेतना स्वरुप हम लघु ईश्वर है क्योंकि हमारे पास सूक्ष्म मात्रा में दाता के सभी गुण हैं और उस जैसा होने का सामथ्र्य। …परम द्विज 03/04/2023 03/04/2023 सभी प्राणियों में सर्वोच्च चेतना स्वरुप हम लघु ईश्वर है क्योंकि हमारे पास सूक्ष्म मात्रा में दाता के सभी गुण हैं और उस जैसा होने का सामथ्र्य। …परम द्विज Read More
हम अपने शरीर से नहीं अपितु अपने दिमाग से कार्य करते हैं। यदि मन दाता से जुड़ा हुआ है, तो हमारे शरीर द्वारा किये गये कार्य वही रहते हैं, कम से कम सतही तौर पर ही सही। लेकिन चेतना बदल जाने के कारण उन कर्मों के प्रभाव बदल जाते हैं। …परम द्विज 03/04/2023 03/04/2023 हम अपने शरीर से नहीं अपितु अपने दिमाग से कार्य करते हैं। यदि मन दाता से जुड़ा हुआ है, तो हमारे शरीर द्वारा किये गये कार्य वही रहते हैं, कम से कम सतही तौर पर ही सही। लेकिन चेतना बदल जाने के कारण उन कर्मों के प्रभाव बदल जाते हैं। …परम द्विज Read More
‘संयम’ धारणा (एकाग्रता, दृढ़ संकल्प और केन्द्रिता), ध्यान और समाधि का त्रय रुपी सबसे कठोर आध्यात्मिक अनुशासन है जिसके माध्यम से सभी कर्मों के प्रभावों को नष्ट किया जा सकता है। …परम द्विज 03/04/2023 03/04/2023 ‘संयम’ धारणा (एकाग्रता, दृढ़ संकल्प और केन्द्रिता), ध्यान और समाधि का त्रय रुपी सबसे कठोर आध्यात्मिक अनुशासन है जिसके माध्यम से सभी कर्मों के प्रभावों को नष्ट किया जा सकता है। …परम द्विज Read More
भौतिक संसार का नियम यही है कि यह अस्थाई है – अस्तित्व में आता है, कुछ उप-उत्पाद पैदा करता है और गायब हो जाता है – जिसमें हमारा शरीर भी शामिल है लेकिन इस दुनिया से परे एक और प्रकृति है जो कि शाश्वत और सनातन है। …परम द्विज 03/04/2023 03/04/2023 भौतिक संसार का नियम यही है कि यह अस्थाई है – अस्तित्व में आता है, कुछ उप-उत्पाद पैदा करता है और गायब हो जाता है – जिसमें हमारा शरीर भी शामिल है लेकिन इस दुनिया से परे एक और प्रकृति है जो कि शाश्वत और सनातन है। …परम द्विज Read More
सनातन का अर्थ है कि जिसका कोई आदि और अंत नहीं है और जो निरंतर है। अतएव, सनातन में किसी भी साम्प्रदायिक प्रक्रिया का उल्लेख असंभव है। भौतिक सृष्टि में हमारे अस्तित्व का उद्देश्य हमारे सनातन व्यवसाय अर्थात् सनातन धर्म को पुनर्जीवित करना है। …परम द्विज 03/04/2023 03/04/2023 सनातन का अर्थ है कि जिसका कोई आदि और अंत नहीं है और जो निरंतर है। अतएव, सनातन में किसी भी साम्प्रदायिक प्रक्रिया का उल्लेख असंभव है। भौतिक सृष्टि में हमारे अस्तित्व का उद्देश्य हमारे सनातन व्यवसाय अर्थात् सनातन धर्म को पुनर्जीवित करना है। …परम द्विज Read More
जैसे गर्मी और प्रकाश को आग और तरलता को तरल पदार्थ से दूर नहीं किया जा सकता, वैसे ही शान्ति, खुशी, शक्ति, ज्ञान, प्रेम, आनन्द और पवित्रता रुपी हमारे मूल संस्कारों, जो कि हमारी मूल प्रकृति और शाश्वत गुण हैं, को हमसे दूर नहीं किया जा सकता। और ये शाश्वत गुण हीं हमारा सनातन धर्म है। धर्म परिवर्तन से हमारा सनातन धर्म नहीं बदलता। …परम द्विज 03/04/2023 03/04/2023 जैसे गर्मी और प्रकाश को आग और तरलता को तरल पदार्थ से दूर नहीं किया जा सकता, वैसे ही शान्ति, खुशी, शक्ति, ज्ञान, प्रेम, आनन्द और पवित्रता रुपी हमारे मूल संस्कारों, जो कि हमारी मूल प्रकृति और शाश्वत गुण हैं, को हमसे दूर नहीं किया जा सकता। और ये शाश्वत गुण हीं हमारा सनातन धर्म है। धर्म परिवर्तन से हमारा सनातन धर्म नहीं बदलता। …परम द्विज Read More
विभिन्न धर्मों में हमारा धार्मिक दर्शन विश्वास के विचार को व्यक्त करता है और विश्वास समय के साथ बदल सकता है। इसलिए, हमारे धर्म और उनके प्रति सच्ची आस्था अस्थाई और अल्पकालिक हैं। …परम द्विज 03/04/2023 03/04/2023 विभिन्न धर्मों में हमारा धार्मिक दर्शन विश्वास के विचार को व्यक्त करता है और विश्वास समय के साथ बदल सकता है। इसलिए, हमारे धर्म और उनके प्रति सच्ची आस्था अस्थाई और अल्पकालिक हैं। …परम द्विज Read More