पूर्ण ज्ञान उदय होने पर स्वयं और दाता की स्थिति में अद्वैत का भाव उत्पन्न होता है। अद्वैत का अर्थ है – ‘दो नहीं’ – लेकिन इसका अर्थ ‘एक’ भी नहीं है …परम द्विज

(Based on the live discourse of Param Dwij)
(परम द्विज के प्रवचन पर आधारित)